एक बंजारे सी है जिन्दगी
सुन बंजारे का ये कहना
ख्वाब तो लाखों हैं,मगर
पूरा न कोई सपना
बिछड़े अपने हैं कई
चाह कर कह न सके
मंजिले हर पल नई
राह में रुक न सके
बस शामियाने की जरुरत
आशियाना वर्जित हमे
दिल की कोई कदर
सब भाव रंग अर्पित उन्हें
हो चूका निष्ठुर हृदय
नस नस भरी भरी वेदना
एक बंजारे सी है जिंदगी
सुन बंजारे का ये कहना
खुद में,खुद को सिमट कर
भीड़ से मिलते रहे
हर पल रोशन रहे शमा
ये सोच, जलते रहे
कह रहा बंजारा अभी
आँखों में लेकर नमी
बस छोड़ते चलो निशां
आसमा हो या फिर ज़मी
सांसो के अंतिम सफ़र तक
नहीं हार है,थमना
एक बंजारे सी है जिन्दगी
सुन बंजारे का ये कहना
छँटनी की मार, निरुद्यम-बेरोजगार
4 weeks ago