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जीवन और सपने

मेरा
एक सपना था
टूट गया
सपने तो होते
हीं हैं टूटने के लिए
अगर ना टूटे तो
जिंदगी में अहसास कहाँ
धडकनों के तेज़ धड़कने
की वो आवाज़ कहाँ
चेहरे पर भय मिश्रित
ख़ुशी  के वो भाव कहाँ
हूँ जिंदा अभी
है वक्त यहाँ
कुछ कर गुजरूँगा
ऐसा वो
अंदाज़ कहाँ 
खुली आँखों से जो दिखे
वही तो दुनिया है
स्पन्दन है
हलचल है
वही चेतन
और जीवन है
बंद आँखों में तो
ख़ामोशी है
नीरवता है
मदहोशी
और निर्ज़नता है 
शायद सपने तो 
अचेतन है
और जीवन एक 
केतन है
आज फिर एक
सपना टूट गया
इस चुभन के साथ
कि मैं जिंदा हूँ
तैयार हूँ
फिर एक 
सपने के लिए 
हाँ और नये
सपनों के लिए....

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5 comments:

Yashwant R. B. Mathur said...

कल 06/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

सदा said...

इस चुभन के साथ
कि मैं जिंदा हूँ
तैयार हूँ
फिर एक
सपने के लिए
भावमय करते शब्‍द ।

अंतर्मन said...

@ yashwant sir.. mujhe ek manch pradan karne kliye apka tahe dil se sukriya :)

अंतर्मन said...

@ sada.. thnxx... :-)

journalist priyanka said...

rightly said... Amar. life without dreams is worthless. dreams motivate us for achieving success in our life...

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