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सफ़र

इस सफ़र को अब एक
हमसफ़र चाहिए
जहाँ बस सके आशियाना
वो शहर चाहिए

कब तक जले यूँ
अकेला दिया
इसके लौ को भी
नुरे नज़र चाहिए
इस सफ़र को अब 
एक हमसफ़र चाहिए

कोई आया करीब
बन कर नसीब
पढ़ सकूँ ऐसा ख़त
वो खबर चाहिए
इस सफ़र को अब 
एक हमसफ़र चाहिए

नाउम्मीदों में कटता सारा समा
फरिश्तें भी खो गएँ जाने कहाँ
मौला ! अब इन दुयाओं में
तेरा असर चाहिए
इस सफ़र को अब 
एक हम सफ़र चाहिए

जिन्दगी के सफ़र को सजाते हुए
कई मिल के पत्थर बनाते हुए
जगमगा दू जहाँ
ये हुनर चाहिए
इस सफ़र को अब 
एक हमसफ़र चाहिए...

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जीवन एक परीक्षा

इन टेढ़े - मेढें राहों से क्या घबराना
जब जीवन एक परीक्षा है
यहाँ सांसे मिलती
गिन - गिन कर
दिन भी मिलते
चुन - चुन कर
वो लाख कहे
कठपुतली तुझको
इंसा बन कर जीना है
तुझे इस बात की फिकर नहीं
यह भीख है या फिर भिक्षा है
इन टेढ़े - मेढें  राहों से क्या घबराना
जब जीवन एक परीक्षा है


आंधी आये या तुंफा 
चाहे बदले सारा जमाना
क्षण भंगुर इस दुनिया में 
तू खुद को अमिट बनाना
जीवन की धुन है ऐसी
चंद लम्हों के सपनो जैसी
जी ले आँखों के सब सपने
इसे मन्त्र कहो या दीक्षा है
इन टेढ़े - मेढ़े राहों से क्या घबराना
जब जीवन एक परीक्षा है


प्यार का मंतर फूंक
हमे यहाँ से जाना है
अगर जीते जी ना सही 
फिर मर  कर अलख जगाना है
ना कर तू अभिमान कभी
हैं कई जिस्म पर
एक जान सभी
दिल से दिल को जोड़ यंहा
यही जीवन की शिक्षा है
इन टेढ़े - मेढ़े राहों से क्या घबराना
जब जीवन एक परीक्षा है
 

तुझे इतिहास के पन्ने दे जगह
शब्द कहें तू किन सा था 
जब उठे अर्थी तेरी
लोग कहें क्या इंसा था
साधारण रह कर भी
असाधरण कुछ कर जाना
यही तेरी अंतिम इक्छा है
इन टेढ़े- मेढ़े राहों से क्या घबराना
जब जीवन एक परीक्षा है...

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मां

मां
यह ब्रह्माण्ड तुझपे टिका
पूरा त्रिलोक तुझमे बसा
तू आदि और अनंत 
इस धरा का अंत है
हर जन्म मेरी मां रहे तू
यही मेरी कामना
कर तेरी आराधना
सधती सारी साधना...
तू सृष्टि है
मेरी शक्ति है
तू भाव भी
और भक्ति है
उड़ेल अपनी भावना
कर तेरी आराधना
सधती सारी साधना..
तू गुरु है
तू हीं ज्ञान है
सत्य का
संज्ञान है
छोड़ सबकी वंदना
कर तेरी आराधना
सधती सारी साधना
तू तीक्ष्ण है
तू तेज़ है
अब क्षीण पड़ता
शब्द का यह 
वेग है
नतमस्तक तेरे सामने
विश्व के विद्वान
मैं तो ठहरा दीन हीन
याचक एक नादान
है मेरा मानना
कर तेरी आराधना
सधती सारी साधना
सधती सारी साधना...

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