· कुछ दिनों पहले यासीन मालिक ने कश्मीर के लालचौक पर तिरंगा न फहराने की धमकी दी, वहा के मुख्यमंत्री ने भी उनका समर्थन कर दिया कोई कुछ नहीं बोला सिवाए उस पार्टी के जिसके राजनितिक अजेंडे में राष्टीय मूल्यों के लिए तो नहीं लेकिन पार्टी मूल्यों के लिए यह शामिल था,जिस पर अभी राजनीति ज़ारी है .अकसर सयद अहमद शाह गिलानी और अरुंधती राय जैसे लोग राष्ट के विरुद्ध वयांवाजी करते है, तब भी कोई बात नहीं,लेकिन वियानक सेन जैसे लोग पर नक्सलियों के सन्देश वाहक के आरोप में ही "राष्द्रोह" का मुकदमा लाद दिया जाता है. अज़मल कसाब और अफज़ल गुरु जैसे लोगो का दोष सिद्ध होने के बाबजूद उन्हें फांसी पर नहीं चढ़ाया जाता है .लेकिन एक सोची समझी योजना के तहत किसी खास संगठन को अत्तंकी करार देने की सुनियोजित मुहिम शुरु कर दी जाती है ..सरकार जाँच एजेंसी को अपनों को बचाने और विरोधियो को फसाने के लिए उपयोग करती है....क्या यही सेकुलर इंडिया और फ्री इंडिया का सिधांत है जो हमे हमारे संविधान से हमे मिला है ...क्या आपको नहीं लगता सेकुलर और कॉमुन्लासिम का उपयोग वोट बैंक की राजनीति से प्रभावित है.....एक तरफ एक लाख चिहातर हज़ार करोर रुपए के घोटले को केग की गलती मान ली जाती है..तो वही दुसरे तरफ मुंबई हमले में शहीद हर हेमंत करकरे की शहदात पर सवाल उठा दिए जाते की उन्हें किसी धार्मिक संगठन ने मारा है,और सबुत तक पेश कर दिए जाते है ...अस्सी हज़ार करोर के कॉमनवेल्थ घोटाले क जाँच का ड्रामा शुरु हो जाता है..हर दुसरे तीसरे महीने मुद्रा इस्फृति की दर अपना नया रिकॉर्ड कायम करती है.....इन सवालों से त्रस्त आखिर आम इन्सां करे तो क्या करे...शायद वही जो संगठनात्मक रूप से असीमानंद जैसे लोगो ने किया और निजी स्तर पर पूर्णिया के विधायक की हत्या करने वाली उस महिला ने...दोनों के कृत्यों को कही से भी उचित नहीं ठराया जा सकता है..लेकिन सोचने वाली वाली बात ये है की आखिर लोग ऐसा आत्मघाती कदम क्यों उठाते है...क्यों किसी को आपने जान की भी परवाह नहीं होती है..क्यों लोग अपना आगे पीछे भी नहीं सोचते है...शायद कही न कही आज का शासन . आज की पार्टिया अपने हितो और स्वार्थो के लिए सामाजिक एवं राष्टीय हितो की क़ुरबानी देने को तयार है.....आपका क्या कहना है....ज़रा सोचिये ...??
2 comments:
gud amar...
bhai aaj kal har jagah dmg cntrl ka formula ho raha hai.....
rightly said dear...
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