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मचलता भारत

आज मैंने लहरें देखी
फिर उठते तूफान को देखा
इस मचलते भारत में
एक नए अरमान को देखा

उस बुजुर्ग की शंख ध्वनि पर
दौड़ा  आया सारा देश
जाति धर्म और भाषा बोली
एक हो गए सबके वेश
आह्लादित होते मेरे मन ने
अद्भुत इस संग्राम को देखा
इस मचलते भारत में
एक नए अरमान को देखा

वो इस बात से बेखबर
कि हम हो रहे हैं बेसबर
नवीनता की चाहत में
अंकुरित होते नव प्राण को देखा
इस मचलते भारत में
एक नए अरमान को देखा

करो फैसला अभी यहीं
अब नहीं तो कभी नहीं
साठ साल में पहली बार
झुकते झूठे शान को देखा
इस मचलते भारत में
एक नए अरमान को देखा...
एक नए अरमान को देखा...  

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6 comments:

ramawtaryadav said...

hmmmm good job bhai....really very relevant to what has happened in last 3-4 days buddy...carry it on...

अंतर्मन said...

thnxx broo... i ll try to carry on :0

कौशलेन्द्र said...

अन्ना ने जो कुछ किया वो बेशक शानदार था पर आखिर उसका परिणाम क्या निकला आखिरकार हो गया समझौता और सुना है कि भारी रकम भी मिली है उन्हें हालांकि उसका उद्देश्य आन्दोलन के लिए बताया गया है पर क्या पता....और अमर बाबू क्या हम अपना काम छोड़कर भ्रष्टाचार नहीं कर रहे हैं....

अंतर्मन said...

@ kausi bro.. maine bhale ki yee kavita aaj anna ke anodalan ke sandabh mei likhi hai..mager.. main uss bujurg ke sankh dwani ki jagah desh bhakti ki sankh dwani shabd laga du.. too yah kavita.. her desh kaal mei prasangik ho jayega.. desh bhakti ki sankh dwani per dauda aaya saara desh..jati dhram or basha boli.. ek ho gaye sabke vesh...well ab main edit kar dunga bro..

तलाश said...

बहुत सुन्दर कविता अपना लेखन जरी रखे

अंतर्मन said...

@ aki... thnxx broo ... :)

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